हर किसी को मानसून का बेशब्री से इन्तेजार रहता है मगर विगत वर्षो से मानसून में काफी गिरावट देखने को मिल रहा है, और आने वाले समय में और भी इससे ज्यादा देखने को मिल सकता हैं, इसका सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन है। भारत मे हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मानसून काफी विलंब से देखने को मिला खास कर हिन्द महासागर की तरफ से आने वाली मानसून जो केरल में प्रवेश करती है जो काफी कमजोर रहा इसमें कही न कही मुझे लगता है जून के महीने में गुजरात के तटीय क्षेत्र में वायु चक्रवात का बहूत बड़ा असर रहा जिनके वजह से काफी कम मानसून देखने को मिल रहा है। जहाँ तक जलवायु परिवर्तन की बात करें तो ये एक बहूत बड़ा मुद्दा है जिसपे सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है नही तो आने वाले समय में जल संकट देखने को मिलेगा,आजकल जिस तरह पेड़ो की कटाई या फिर अवैध तरीके से खनन चल रहा है या फिर नदियों में बालू का अवैध ढंग से खनन स्थानीय माफिया के द्वारा किया जा रहा है जिसके कारण भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे जा रहा है जो चिंता का विषय है,गत वर्ष देश के कुछ प्रमुख शहरों में जल की काफी किल्लत देखने को मिला इसमे कुछ प्रमुख शहर जैसे बंगलोर,चेन्नई,और देश के बहूत सारे हिस्सों में जल का संकट देखने को मिला,बंगलोर जो कि देश इलेक्ट्रॉनिक सिटी के नाम से जाना जाता है जहाँ कुछ दसक पहले बहूत सारे जलाशय और झील देखने को मिलता था जो कि आज कल विलुप्त की कगार पर पहुंच चुका है और कुछ अवैध तरीके से कब्जा कर भवन का निर्माण कर दिया गया है,जिसके वजह से आज शहर में लोग जल के लिए त्राहिमाम मचा रहे है। पिछले वर्ष दक्षिण अफ्रीका के शहर कैप्टाउन जो डे जीरो घोषित कर दिया गया था जहाँ पानी के लिए लोग तरस रहे थे,जहां अभी वहां के सरकार के द्वारा इसपर काम क्या जा रहा है। जल संकट का मुद्दा विश्व के सभी देशों के लिए अहम है, और इसपे सभी देशो इस विषय पर को कठोर कदम उठाने की जरूरत है।मेंने हाल के दिनों में एक न्यूज़ में देखा के लोग जल के लिए एक दूसरे से मार करने पर भी उतारू था और कुछ लोग गंदा पानी पीने को विवश थे,जिसे हमें सीख लेने की जरूरत है कि जल का उपयोग बहूत काम मात्रा में करें जितना जरूरी हो व्यर्थ जल का दोहन न करें आने वाले समय मे जल संकट या सुखाड़ से काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आज जिस तरह गांव का शहरीकरण हो रहा है जहां पर भूमिगत जल का अवशोषण नही हो पा रहा है,सरकार को सतत विकास को लेकर इस क्षेत्र पर ध्यान देने की जरूरत है।संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य जो कि 2030 तक का पूरे विश्व के लिए स्वच्छ जल (पीने योग्य जल) का लक्ष्य रखा गया है,इसको मद्दे नजर रखते हुए काम करने की जरूरत है,जो कि आने वाली पीढ़ी के लिए वरदान साबित होगा।
जल ही जीवन है जल के बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है,आज जिस तरह नदियों और जलाशयों को प्रदूषित किया जा रहा है,बड़े-बड़े शहरों और महानगरों से निकलने वाली नालियों जिसमें न जाने कितने प्रकार के जहरीले रसायन मौजूद होते है जिससे जलीय जीवों के साथ-साथ बहूत सारे जीव जंतुओं के लिए काफी नुकसानदायक है,जल को स्वच्छ बनाने या फिर नदियों की सफाई करने के लिए बहूत सारी योजनाएं सरकार के द्वारा लाये गए मगर कही न कही सरकार इसमे विफल नजर आ रही है।
एम.एच.रहमान....✍️