भारत का भूकंपी क्षेत्र
भारत को पांच विभिन्न भूकंपी क्षेत्रों में बांटा गया है। इन क्षेत्रों को भूकंप की व्यापकता के घटते स्तर के अनुसार क्षेत्र I से लेकर क्षेत्र V तक वर्गीकृत किया गया है।
क्षेत्र I जहां कोई खतरा नहीं है।
क्षेत्र II जहां कम खतरा है।
क्षेत्र III जहां औसत खतरा है।
क्षेत्र IV जहां अधिक खतरा है।
क्षेत्र V जहां बहुत अधिक खतरा है।
भारत को पांच विभिन्न भूकंपी क्षेत्रों में बांटा गया है। इन क्षेत्रों को भूकंप की व्यापकता के घटते स्तर के अनुसार क्षेत्र I से लेकर क्षेत्र V तक वर्गीकृत किया गया है।
क्षेत्र I जहां कोई खतरा नहीं है।
क्षेत्र II जहां कम खतरा है।
क्षेत्र III जहां औसत खतरा है।
क्षेत्र IV जहां अधिक खतरा है।
क्षेत्र V जहां बहुत अधिक खतरा है।
भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है। भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर चार हिस्सों जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 में बांटा गया है। जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है तथा जोन-5 को सर्वाधिक खतनाक जोन माना जाता है।
उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं। उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन-4 में आते हैं। मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं।
हालांकि राजधानी दिल्ली में ऐसे कई इलाके हैं जो जोन-5 की तरह खतरे वाले हो सकते हैं। इस प्रकार दक्षिण राज्यों में कई स्थान ऐसे हो सकते हैं जो जोन-4 या जोन-5 जैसे खतरे वाले हो सकते हैं। दूसरे जोन-5 में भी कुछ इलाके हो सकते हैं जहां भूकंप का खतरा बहुत कम हो और वे जोन-2 की तरह कम खतरे वाले हों। भारत में लातूर (महाराष्ट्र), कच्छ (गुजरात) जम्मू-कश्मीर में बेहद भयानक भूकंप आ चुके है। इसी तरह इंडोनिशिया और फिलीपींस के समुद्र में आए भयानक भूकंप से उठी सुनामी भारत, श्रीलंका और अफ्रीका तक लाखों लोगों की जान ले चुकी है।
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