रेडीयो कार्बन डेटींग(Radiocarbon dating) किसी वस्तु की आयु ज्ञात करने कि विधि है, इस विधि मे रेडीयोसक्रिय कार्बन समस्थानिक के गुणधर्मो का प्रयोग किया जाता है। इस विधि की खोज 1940 मे विलियर्ड लीबी(Willard Libby) ने की थी।
इस विधि मे 14C कार्बन समस्थानिक का प्रयोग होता है जो वातावरण मे नाइट्रोजन के कास्मिक किरणो से प्रतिक्रिया स्वरूप उत्पन्न होते रहता है। यह रेडीयोसक्रिय कार्बन आक्सीजन से प्रतिक्रिया कर रेडीयो सक्रिय कार्बन डाय आक्साईड CO2 बनाता है। यह रेडीयो सक्रिय CO2, प्रकाशसंश्लेषण प्रतिक्रिया मे पौधो द्वारा अवशोषित होकर खाद्य श्रृंखला(पौधो से प्राणीयों) मे शामिल हो जाती है।
सरल शब्दो मे C14 को पेड़/पौधे वातावरण से CO2 के रूप अवशोषित करते है। प्राणीयों मे यह C14 पेड़/पौधो को फल, सब्जी, अनाज के रूप मे खाने से आता है। मांसाहारी प्राणीयों मे यह C14 शाकाहारी प्राणीयों को खाने से आता है।
जब पेड़/प्राणी की मृत्यु होती है तब वे CO2 का अवशोषण बंद कर देते है। मृत्यु के समय के पश्चात से 14C की मात्रा घटना शुरु हो जाति है क्योंकि अब 14Cरेडीयो सक्रियता के फलस्वरूप क्षय होकर वापस नाइट्रोजन 14N मे परिवर्तित हो जाता है।
अब वनस्पति/प्राणी के अवशेषो(लकड़ी/हड्डी) मे शेष 14C की मात्रा से उस प्राणी की मृत्यु के समय की गणना की जा सकती है। यह विधि 50,000 वर्ष पुराने अवशेषो तक के लिये कारगर सिद्ध हुयी है।
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