फ़्लोरीन आवर्त सारणी के सप्तसमूह का प्रथम तत्वहै, जिसमें सर्वाधिक अधातु गुण वर्तमान हैं। इसका एक स्थिर समस्थानिक प्राप्त है और तीन रेडियोऐक्टिव समस्थानिक कृत्रिम साधनों से बनाए गए हैं। इस तत्व को 1886 ई. में मॉयसाँ ने पृथक् किया था। अत्यंत क्रियाशील तत्व होने के कारण इसको मुक्त अवस्था में बनाना अत्यंत कठिन कार्य था। मॉयसाँ ने विशुद्ध हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पोटैशियम फ्लोराइड के मिश्रण के वैद्युत् अपघटन द्वारा यह तत्व प्राप्त किया था। फ़्लोरीन मुक्त अवस्था में नहीं पाया जाता।
फ़्लोरीन समस्त तत्वों में अपेक्षाकृत सर्वाधिक क्रियाशील पदार्थ है। हाइड्रोजन के साथ यह न्यून ताप पर भी विस्फोट के साथ संयुक्त हो जाता है।
फ़्लोरीन का उपयोग कीटमारक के रूप में होता है। इसके कुछ यौगिक, जैसे यूरेनियम फ्लुओराइड, परमाणु ऊर्जा प्रयोगों में प्रयुक्त होते हैं। फ़्लोरीन के अनेक कार्बनिक यौगिक प्रशीतन उद्योग तथा प्लास्टिक उद्योग में काम आते हैं।
हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल अथवा हाइड्रोजन फ्लुओराइड (HF) अथवा (H2F2) अत्यंत विषैला पदार्थ है इसका विशुद्ध यौगिक विद्युत् का कुचालक है। इसका जलीय विलयन तीव्र आम्लिक गुण युक्त होता है। यह काच पर क्रिया कर सकता है तथा सिलिकन फ्लुओराइड बनाता है। इस गुण के कारण इसका उपयोग काच पर निशान बनाने में होता है। हाइड्रोफ्लुओरिक अम्ल के लवण फ्लुओराइड कहलाते हैं। कुछ फ्लुओराइड जल में विलेय होते हैं।
सामान्य ज्ञान M.H.PREPARATION ADDA
Education is not preparation for life; education is life itself.
Sunday, 1 November 2020
फ्लोरीन Fluorine
Thursday, 15 August 2019
गिरता मानसून का स्तर
हर किसी को मानसून का बेशब्री से इन्तेजार रहता है मगर विगत वर्षो से मानसून में काफी गिरावट देखने को मिल रहा है, और आने वाले समय में और भी इससे ज्यादा देखने को मिल सकता हैं, इसका सबसे बड़ा कारण जलवायु परिवर्तन है। भारत मे हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मानसून काफी विलंब से देखने को मिला खास कर हिन्द महासागर की तरफ से आने वाली मानसून जो केरल में प्रवेश करती है जो काफी कमजोर रहा इसमें कही न कही मुझे लगता है जून के महीने में गुजरात के तटीय क्षेत्र में वायु चक्रवात का बहूत बड़ा असर रहा जिनके वजह से काफी कम मानसून देखने को मिल रहा है। जहाँ तक जलवायु परिवर्तन की बात करें तो ये एक बहूत बड़ा मुद्दा है जिसपे सरकार को विशेष ध्यान देने की जरूरत है नही तो आने वाले समय में जल संकट देखने को मिलेगा,आजकल जिस तरह पेड़ो की कटाई या फिर अवैध तरीके से खनन चल रहा है या फिर नदियों में बालू का अवैध ढंग से खनन स्थानीय माफिया के द्वारा किया जा रहा है जिसके कारण भूमिगत जल का स्तर काफी नीचे जा रहा है जो चिंता का विषय है,गत वर्ष देश के कुछ प्रमुख शहरों में जल की काफी किल्लत देखने को मिला इसमे कुछ प्रमुख शहर जैसे बंगलोर,चेन्नई,और देश के बहूत सारे हिस्सों में जल का संकट देखने को मिला,बंगलोर जो कि देश इलेक्ट्रॉनिक सिटी के नाम से जाना जाता है जहाँ कुछ दसक पहले बहूत सारे जलाशय और झील देखने को मिलता था जो कि आज कल विलुप्त की कगार पर पहुंच चुका है और कुछ अवैध तरीके से कब्जा कर भवन का निर्माण कर दिया गया है,जिसके वजह से आज शहर में लोग जल के लिए त्राहिमाम मचा रहे है। पिछले वर्ष दक्षिण अफ्रीका के शहर कैप्टाउन जो डे जीरो घोषित कर दिया गया था जहाँ पानी के लिए लोग तरस रहे थे,जहां अभी वहां के सरकार के द्वारा इसपर काम क्या जा रहा है। जल संकट का मुद्दा विश्व के सभी देशों के लिए अहम है, और इसपे सभी देशो इस विषय पर को कठोर कदम उठाने की जरूरत है।मेंने हाल के दिनों में एक न्यूज़ में देखा के लोग जल के लिए एक दूसरे से मार करने पर भी उतारू था और कुछ लोग गंदा पानी पीने को विवश थे,जिसे हमें सीख लेने की जरूरत है कि जल का उपयोग बहूत काम मात्रा में करें जितना जरूरी हो व्यर्थ जल का दोहन न करें आने वाले समय मे जल संकट या सुखाड़ से काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आज जिस तरह गांव का शहरीकरण हो रहा है जहां पर भूमिगत जल का अवशोषण नही हो पा रहा है,सरकार को सतत विकास को लेकर इस क्षेत्र पर ध्यान देने की जरूरत है।संयुक्त राष्ट्र संघ के सतत विकास लक्ष्य जो कि 2030 तक का पूरे विश्व के लिए स्वच्छ जल (पीने योग्य जल) का लक्ष्य रखा गया है,इसको मद्दे नजर रखते हुए काम करने की जरूरत है,जो कि आने वाली पीढ़ी के लिए वरदान साबित होगा।
जल ही जीवन है जल के बिना जीवन की कल्पना भी असंभव है,आज जिस तरह नदियों और जलाशयों को प्रदूषित किया जा रहा है,बड़े-बड़े शहरों और महानगरों से निकलने वाली नालियों जिसमें न जाने कितने प्रकार के जहरीले रसायन मौजूद होते है जिससे जलीय जीवों के साथ-साथ बहूत सारे जीव जंतुओं के लिए काफी नुकसानदायक है,जल को स्वच्छ बनाने या फिर नदियों की सफाई करने के लिए बहूत सारी योजनाएं सरकार के द्वारा लाये गए मगर कही न कही सरकार इसमे विफल नजर आ रही है।
एम.एच.रहमान....✍️
Friday, 7 July 2017
सलीम अली
सोन चिरईया आए जा , आके खाना खाए जा ...............
जन्मदिन / सालिम अली (12 नवंबर)
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विश्वविख्यात पक्षी विज्ञानी सालिम अली का जन्म 12 नवंबर 1886 को मुंबई में हुआ । माइग्रेन के कारण बड़ी मुश्किल से 1913 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से 27 साल की उम्र में दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण हो पाए । पारिवारिक धंधे को देखने बर्मा गए , जहां के जंगलों मे शोध करके अपने कौशल को उत्तम बनाते रहे । खातून तहमीना अली से दिसंबर 1918 में निकाह किया।
मुंबई वापस आकर बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी के सचिव डबल्यू.एस. मिलार्ड की देख-रेख में सालिम ने पक्षियों पर गंभीर अध्ययन करना शुरू किया , अपनी आत्मकथा The Fall of a Sparrow मे उन्होने विस्तार से अपने जीवन का वर्णन किया है । औपचारिक डिग्री न होने के कारण Zoological Survey of India के एक पक्षी विज्ञानी पद को हासिल करने में सालिम अली असमर्थ रहे , फिर बाद मे मुंबई के प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय में एक गाइड के रूप में नियुक्त हुए । मुम्बई के एक तटीय गांव में वीवर के प्रजनन का अध्ययन करने के बाद उन्होने हैदराबाद, कोचिन, त्रावणकोर, ग्वालियर, इंदौर और भोपाल जैसे रजवाड़ों मे पक्षियों का अध्ययन शुरू किया , इस कार्य में प्रसिद्ध Ornithologist ह्यूगो व्हिस्लर से उन्हे काफी सहयोग प्राप्त हुआ । उनकी पुस्तक "बुक ऑफ इंडियन बर्ड्स" भारतीय पक्षियों का विश्वकोष माना जाता है ।
1976 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से उन्हें सम्मानित किया गया। 20 जून 1987 को उनके निधन के बाद भारत सरकार द्वारा 1990 में कोयंबटूर में सेंटर फॉर ओर्निथोलोजी एंड नेचुरल हिस्ट्री (SACON) का नामकरण उनके नाम पर किया गया।
जन्मदिन पर भारत के महान पक्षी विज्ञानी सालिम अली को खेराजे अक़ीदत !
Friday, 23 June 2017
रसायन शास्त्र
लवण (Salt):-
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अम्ल एवं भस्म की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप लवण बनता है। इसमें लवण के अलावा जल का भी निर्माण होता है।
लवणों का उपयोग [Uses]:-
✔ खाने का सोडा या बेकिंग सोडा या सोडियम बाईकार्बोरेट (NaHCO3) का बेकिंग पाउण्डर के रूप में, पेट की अम्लीयता को दूर करने में एवं अग्निनाशक यंत्रों में उपयोग होता है।
✔ साधारण नमक अर्थात् सोडियम क्लोराइड (NaCl) का खाने में, अचार के परिरक्षण तथा मांस एवं मछली के संरक्षण (Preservation) में उपयोग किया जाता है।
✔ कास्टिक सोडा या सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) का अपमार्जक का चूर्ण बनाने में उपयोग होता है।
✔ धोवन सोडा या सोडियम कार्बोनेट (Na2CO3 ) का उपयोग कपड़े धोने में होता है।
✔ पोटेशियम नाइट्रेट या शोरा (KNO3) का बारूद बनाने में एवं उर्वरक के रूप में उपयोग होता है। पोटेशियम नाइट्रेट को साल्टपीटर (Saltpeter) भी कहते है।
✔ काॅपर सल्फेट का उपयोग विद्युत लेपन में एवं रंगाई व छपाई में होता है।
भस्म (Base):-
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ऐसा यौगिक जो अम्ल से प्रतिक्रिया कर लवण एवं जल देता हो, जिसमें प्रोटाॅन ग्रहण करने की प्रवृत्ति हो एवं जल में घुलने से हाइड्राॅक्सिल आयन (OH-) देता हो, भस्म [Bases] कहलाता है।
भस्म स्वाद में कड़वा होता है तथा यह लाल लिट्मस को नीला कर देता है।
भस्मों का उपयोग [Uses]:-
✔ दैनिक जीवन में कैल्शियम हाइड्राक्साइड [Ca(OH)2] का इस्तेमाल घरों में चूना पोतने में, गारा एवं प्लास्टर बनाने में, मिट्टी की अम्लीयता दूर करने में, ब्लीचिंग पाउण्डर बनाने में, जल को मृदु बनाने में तथा जलने पर मरहम-पट्टी करने में किया जाता है।
✔ कास्टिक सोडा (NaOH) का साबुन बनाने, पेट्रोलियम साफ करने, कपड़ा एवं कागज बनाने आदि में किया जाता है।
✔ खाली चूना (CaO) का मकान बनाने में गारा के रूप में, शीशा तथा ब्लीचिंग पाउडर बनाने में किया जाता है।
✔ पेट की अम्लीयता को दूर करने में मिल्क आॅफ मैग्नेशिया या मैग्नेशियम हाइड्राॅक्साइड Mg(OH)2 का प्रयोग होता है।
अम्ल (Acid):-
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ऐसा यौगिक जो जल में घुलकर हाइड्रोजन (H+) आयन देता है तथा जो किसी दूसरे पदार्थ को प्रोटाॅन प्रदान करने की क्षमता रखता है, अम्ल (Acid) कहलाता है। अम्ल स्वाद में खट्टे होते है तथा अम्ल का जलीय विलयन नीले लिट्मस पेपर को लाल कर देता है।
अम्लों का प्रयोग [Uses]:-
✔ दैनिक जीवन में खाने के काम में, जैसेः- अंगूर में टार्टरिक अम्ल के रूप में, नीबू एवं नारंगी में- साइट्रिक अम्ल, चीनी में- फार्मिक अम्ल, सिरका एवं अचार में- एसीटिक अम्ल, खट्टे दूध में- लैक्टिक अम्ल, सेब में- मैलिक अम्ल, सोडावाटर एवं अन्य पेय पदार्थो में- कार्बनिक अम्ल के रूप में पाया जाता है।
✔ आॅक्जैलिक अम्ल का प्रयोग कपड़े सेजंग के धब्बे हटाने में तथा फोटोग्राफी में किया जाता है।
✔ H2SO4 एवं HNO3 का प्रयोग विस्फोटकों, उर्वरकों, दवाओं को बनाने तथा लोहे को साफ करने में आदि में होता है।
✔ सोना एवं चाँदी के शुद्धीकरण में नाइट्रिक अम्ल का प्रयोग किया जाता है।
✔ खाना पचाने में HCL अम्ल का प्रयोग होता है।
कैसे अपना ईलाज करते है जानवर
आपने कुत्ते और बिल्ली को घास खाते देखा होगा। बीमार होने पर वो ऐसा करते हैं। और भी कई जीव ऐसे ही अपना प्राकृतिक इलाज करते हैं। उनका सहज ज्ञान इंसान के लिए भी फायदेमंद हो सकता है।
1.परजीवियों से बचाव
चिंपाजी जब विषाणुओं के संक्रमण से बीमार होते हैं या फिर उन्हें डायरिया या मलेरिया होता है तो वे एक खास पौधे तक जाते हैं। चिंपाजियों का पीछा कर वैज्ञानिक आसपिलिया नाम के पौधे तक पहुंचे।
2.आसपिलिया का फायदा
इसकी खुरदुरी पत्तियां चिंपाजियों का पेट साफ करती हैं। आसपिलिया की मदद से परजीवी जल्द शरीर से बाहर निकल जाते हैं। संक्रमण भी कम होने लगता है। तंजानिया के लोग भी इस पौधे का दवा के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।
3.वंडर प्लम
काला प्लम विटेक्स डोनियाना, बंदर बड़े चाव से खाते हैं। ये सांप के जहर से लड़ता है। येलो फीवर और मासिक धर्म की दवाएं बनाने के लिए इंसान भी इसका इस्तेमाल करता है।
4.अभिभावकों से सीख
मेमना बड़ी भेड़ों को चरते हुए देखता है और काफी कुछ सीखता है। की़ड़े की शिकायत होने पर भेड़ ऐसे पौधे चरती है जिनमें टैननिन की मात्रा बहुत ज्यादा हो। तबियत ठीक होने के बाद भेड़ फिर से सामान्य घास चरने लगती है।
5.अल्कोहल की जरूरत
फ्रूट फ्लाई कही जाने वाली बहुत ही छोटी मक्खियां परजीवी से लड़ने के लिए सड़ते फलों का सहारा लेती है। फलों के खराब पर उनमें अल्कोहल बनता है। फ्रूट फ्लाई ऐसे फलों में अंडे देती हैं ताकि विषाणु और परजीवियों खुद मर जाएं।
6.समझदार गीजू
विषाणु के चलते बीमार होने पर गीजू ऐसे पौधे खाता है जिनमें एल्कोलॉयड बहुत ज्यादा हो।
7.जहरीले फूल
मोनार्क तितली अंडे देने के लिए मिल्कवीड पौधे का इस्तेमाल करती है। इसके फूल में बहुत ज्यादा कार्डेनोलिडेन होता है, जो तितली के दुश्मनों के लिए जहरीला होता है।
8.मेहनती मधुमक्खियां
मधुमक्खियां प्रोपोलिस बनाती हैं। ये शहद और प्राकृतिक मोम का मिश्रण है। यह बैक्टीरिया, विषाणु और संक्रमण से बचाता है। शहद का इस्तेमाल इंसान, बंदर, भालू और चिड़िया भी करते हैं।
9.निकोटिन वाला बसेरा
मेक्सिको की गोरैया घोंसला बनाने के लिए सिगरेट के ठुड्डों का सहारा लेने लगी है। वैज्ञानिकों के मुताबिक सिग्रेट बट्स में काफी निकोटिन होता है जो परजीवियों से बचाता है। लेकिन इसके नुकसान भी हैं।
10.घास से इलाज
बिल्ली और कुत्ते प्राकृतिक रूप से शुद्ध शाकाहारी नहीं हैं। लेकिन बीमार पड़ने पर दोनों खास किस्म की घास खाते हैं। घास खाने के उनका पेट गड़बड़ा जाता है और बीमार कर रही चीज उल्टी या दस्त के साथ बाहर आ जाती है।
11.मिट्टी से संतुलन
कुआला पेड़ पौधे और छाल खाता है। लेकिन बीमार होने पर वो खाने के तुरंत बाद मिट्टी खाता है। मिट्टी खुराक के अम्लीय और क्षारीय गुणों को फीका कर देती है।
12.मच्छरों को धोखा
कापुचिन बंदरों के पास इंसान की तरह मच्छरदानी नहीं होती। लेकिन मच्छरों से बचने के लिए वो अपने शरीर पर खास गंध वाला पेस्ट रगड़ते हैं। गंध से परजीवी दूर भागते हैं।
13.क्रमिक विकास की देन
कनखजूरा खुद को एक खास तरह के जहर में लपेट लेता है। वैज्ञानिकों को लगता है जीव जंतुओं ने लाखों साल के विकास क्रम में अपनी रक्षा के लिए कई जानकारियां जुटाई और भावी पीढ़ी को दीं।
स्रोत. विज्ञान विश्व
Monday, 12 June 2017
क्यों होते है क्रिकेटर 90 के स्कोर पर आउट
भारत का भूकंपी क्षेत्र
भारत को पांच विभिन्न भूकंपी क्षेत्रों में बांटा गया है। इन क्षेत्रों को भूकंप की व्यापकता के घटते स्तर के अनुसार क्षेत्र I से लेकर क्षेत्र V तक वर्गीकृत किया गया है।
क्षेत्र I जहां कोई खतरा नहीं है।
क्षेत्र II जहां कम खतरा है।
क्षेत्र III जहां औसत खतरा है।
क्षेत्र IV जहां अधिक खतरा है।
क्षेत्र V जहां बहुत अधिक खतरा है।
भारतीय उपमहाद्वीप में भूकंप का खतरा हर जगह अलग-अलग है। भारत को भूकंप के क्षेत्र के आधार पर चार हिस्सों जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5 में बांटा गया है। जोन 2 सबसे कम खतरे वाला जोन है तथा जोन-5 को सर्वाधिक खतनाक जोन माना जाता है।
उत्तर-पूर्व के सभी राज्य, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड तथा हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्से जोन-5 में ही आते हैं। उत्तराखंड के कम ऊंचाई वाले हिस्सों से लेकर उत्तर प्रदेश के ज्यादातर हिस्से तथा दिल्ली जोन-4 में आते हैं। मध्य भारत अपेक्षाकृत कम खतरे वाले हिस्से जोन-3 में आता है, जबकि दक्षिण के ज्यादातर हिस्से सीमित खतरे वाले जोन-2 में आते हैं।
हालांकि राजधानी दिल्ली में ऐसे कई इलाके हैं जो जोन-5 की तरह खतरे वाले हो सकते हैं। इस प्रकार दक्षिण राज्यों में कई स्थान ऐसे हो सकते हैं जो जोन-4 या जोन-5 जैसे खतरे वाले हो सकते हैं। दूसरे जोन-5 में भी कुछ इलाके हो सकते हैं जहां भूकंप का खतरा बहुत कम हो और वे जोन-2 की तरह कम खतरे वाले हों। भारत में लातूर (महाराष्ट्र), कच्छ (गुजरात) जम्मू-कश्मीर में बेहद भयानक भूकंप आ चुके है। इसी तरह इंडोनिशिया और फिलीपींस के समुद्र में आए भयानक भूकंप से उठी सुनामी भारत, श्रीलंका और अफ्रीका तक लाखों लोगों की जान ले चुकी है।
सुरक्षित पासवर्ड होता क्या है
इसके लिए ज़रूरी है कि आपको हैकर्स के तौर तरीकों का बेहतर पता हो, ताकि आप सुरक्षा के बेहतर इंतज़ाम तलाश पाएं।
हैकर्स अमूमन किसी का भी पासवर्ड चुराने के लिए तीन तरीके इस्तेमाल करते हैं। वे फर्ज़ी ईमेल भेजते हैं, जिसके जरिए अचानक से अमीर होने, लाटरी खुलने जैसे लालच दिए जाते हैं। जब आप उन साइट्स पर जाते हैं तो आपको सीक्रेट कोड डालने को कहा जाता है। हैकर्स चालाकी, समझ और अनुमानों से काम लेते हैं। साईबर सुरक्षा के इस दौर में भी, दुनिया भर के लोगों में सबसे ज़्यादा PASSWORD को ही अपना पासवर्ड रख बैठते हैं। इसके बाद सबसे लोकप्रिय पासवर्ड है 123456, लेकिन हैकर्स ये सब जानते हैं।
कई लोग लोकप्रिय चलन के आधार पर अपना पासवर्ड बनाते हैं। लेकिन हैकिंग करने वालों के डाटाबेस में ऐसे कई संभावित पासवर्ड के संयोजन, आपके, आपके रिश्तेदारों के नाम और तिथियों से बनने वाले संयोजन मौजूद होते हैं।
रेडियो कार्बन डेटिंग विधि
रेडीयो कार्बन डेटींग(Radiocarbon dating) किसी वस्तु की आयु ज्ञात करने कि विधि है, इस विधि मे रेडीयोसक्रिय कार्बन समस्थानिक के गुणधर्मो का प्रयोग किया जाता है। इस विधि की खोज 1940 मे विलियर्ड लीबी(Willard Libby) ने की थी।
इस विधि मे 14C कार्बन समस्थानिक का प्रयोग होता है जो वातावरण मे नाइट्रोजन के कास्मिक किरणो से प्रतिक्रिया स्वरूप उत्पन्न होते रहता है। यह रेडीयोसक्रिय कार्बन आक्सीजन से प्रतिक्रिया कर रेडीयो सक्रिय कार्बन डाय आक्साईड CO2 बनाता है। यह रेडीयो सक्रिय CO2, प्रकाशसंश्लेषण प्रतिक्रिया मे पौधो द्वारा अवशोषित होकर खाद्य श्रृंखला(पौधो से प्राणीयों) मे शामिल हो जाती है।
सरल शब्दो मे C14 को पेड़/पौधे वातावरण से CO2 के रूप अवशोषित करते है। प्राणीयों मे यह C14 पेड़/पौधो को फल, सब्जी, अनाज के रूप मे खाने से आता है। मांसाहारी प्राणीयों मे यह C14 शाकाहारी प्राणीयों को खाने से आता है।
जब पेड़/प्राणी की मृत्यु होती है तब वे CO2 का अवशोषण बंद कर देते है। मृत्यु के समय के पश्चात से 14C की मात्रा घटना शुरु हो जाति है क्योंकि अब 14Cरेडीयो सक्रियता के फलस्वरूप क्षय होकर वापस नाइट्रोजन 14N मे परिवर्तित हो जाता है।
अब वनस्पति/प्राणी के अवशेषो(लकड़ी/हड्डी) मे शेष 14C की मात्रा से उस प्राणी की मृत्यु के समय की गणना की जा सकती है। यह विधि 50,000 वर्ष पुराने अवशेषो तक के लिये कारगर सिद्ध हुयी है।
लिथियम Li
2.लिथियम का घनत्व 0.534 होता है।
3.लिथियम मुलायम होता है एवं इसे चाकू से आसानी से काटा जा सकता है।
4.लिथियम ऊष्मा और विद्युत का सुचालक होता है।
यह सेल फोन बैटरीज में सबसे ताजातरीन और प्रचलित टेक्नोलॉजी है। लिथियम आइऑन सेल फोन बैटरी का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि वो महंगी होती हैं। हालांकि, इनमें लि-पॉलिमर के मुकाबले ज्यादा ऊर्जा संग्रहीत होती है।
पॉलीग्राफिक टेस्ट
दूसरा तरीक़ा होता है ट्रुथ सीरम या नार्को टेस्ट का इस्तेमाल। इसमें उस आदमी को एक दवा (जैसे सोडियम पेंटाथॉल) दी जाती है। इससे अभियुक्त बेहोशी की हालत में बात करता है और सच बातें उगल देता है।
Friends Forever
फ्लोरीन Fluorine
फ़्लोरीन आवर्त सारणी के सप्तसमूह का प्रथम तत्वहै, जिसमें सर्वाधिक अधातु गुण वर्तमान हैं। इसका एक स्थिर समस्थानिक प्राप्त है और तीन रेडियोऐक्...
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जेम्स प्रेस्कॉट जूल (अंग्रेजी: James Prescott Joule)सैल्फोर्ड, लंकाशायर में जन्मे एक अंग्रेज भौतिकविज्ञानी थे। पुरस्कार : रायल मेड्ल (18...
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जॉन डाल्टन एक अंग्रेज़ वैज्ञानिक थे। इन्होंने पदार्थ की रचना सम्बन्धी सिद्धान्त का प्रतिपादन किया जो 'डाल्टन के परमाणु सिद्धान्त' ...